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प्रेक्षक और प्रेक्षन

27.7.2015

प्रश्न: सर..जब हम अपने मन को देखते हैं तो मुझे लगता है कि 2 घटक हैं, मन और प्रेक्षक। मुझे लगता है कि प्रेक्षक थोड़ी देर बाद प्रेक्षन होने वाली वस्तु बन जाता है। तो 2 घटक नहीं हैं .. क्या मेरी राय सही है? अगर गलत है तो कृपया मुझे सुधारें


उत्तर: आम तौर पर, विचार आपके मन को प्रतिबिंबित करते हैं। जब आप अपने मन को देखते हैं, तो विचार गायब हो जाते हैं। जब आप मन को देखते हैं, तो विचार क्यों गायब हो जाते हैं? विचार देखनेवाले का समर्थन से प्रतिबिंबित हो रहे है।


जिस क्षण आप प्रेक्षन करना शुरू करते हैं, आप विचारों से अलग हो जाते हैं। विद्युत प्रवाह की आपूर्ति काट दी जाती है। यह ऐसा है जैसे पंखा बंद है। पंखा बंद करने पर पंखा तुरंत बंद नहीं होता है। लेकिन यह कुछ देर में बंद हो जाएगा।


इसी तरह, जैसे ही आप प्रेक्षन करना शुरू करते हैं, एक अंतर बनता है। आप मन से अलग हो जाओगे। आप कुछ विचारों को देख सकते हैं। लेकिन जल्द ही मन गायब हो जाता है। जैसे ही मन गायब हो जाता है, प्रेक्षक भी गायब हो जाता है।


प्रेक्षक प्रेक्षन नहीं बनता है। लेकिन प्रेक्षक और प्रेक्षन दोनों गायब हो जाते हैं। दोनों स्वतंत्र नहीं हो सकते। उन्हें गायब होना चाहिए। और फिर जागरूकता बचता है।


सुप्रभात .... जागरूकता बचे ...💐


वेंकटेश - बैंगलोर

(9342209728)


यशस्वी भव

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